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मार्क 12:9 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

अनेनासौ द्राक्षाक्षेत्रपतिः किं करिष्यति? स एत्य तान् कृषीवलान् संहत्य तत्क्षेत्रम् अन्येषु कृषीवलेषु समर्पयिष्यति।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

অনেনাসৌ দ্ৰাক্ষাক্ষেত্ৰপতিঃ কিং কৰিষ্যতি? স এত্য তান্ কৃষীৱলান্ সংহত্য তৎক্ষেত্ৰম্ অন্যেষু কৃষীৱলেষু সমৰ্পযিষ্যতি|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

অনেনাসৌ দ্রাক্ষাক্ষেত্রপতিঃ কিং করিষ্যতি? স এত্য তান্ কৃষীৱলান্ সংহত্য তৎক্ষেত্রম্ অন্যেষু কৃষীৱলেষু সমর্পযিষ্যতি|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

အနေနာသော် ဒြာက္ၐာက္ၐေတြပတိး ကိံ ကရိၐျတိ? သ ဧတျ တာန် ကၖၐီဝလာန် သံဟတျ တတ္က္ၐေတြမ် အနျေၐု ကၖၐီဝလေၐု သမရ္ပယိၐျတိ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

anEnAsau drAkSAkSEtrapatiH kiM kariSyati? sa Etya tAn kRSIvalAn saMhatya tatkSEtram anyESu kRSIvalESu samarpayiSyati|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

અનેનાસૌ દ્રાક્ષાક્ષેત્રપતિઃ કિં કરિષ્યતિ? સ એત્ય તાન્ કૃષીવલાન્ સંહત્ય તત્ક્ષેત્રમ્ અન્યેષુ કૃષીવલેષુ સમર્પયિષ્યતિ|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

anenAsau drAkSAkSetrapatiH kiM kariSyati? sa etya tAn kRSIvalAn saMhatya tatkSetram anyeSu kRSIvaleSu samarpayiSyati|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



मार्क 12:9
33 अन्तरसन्दर्भाः  

ततस्ते तत् स्थानं प्रविश्य निवसन्ति, तेन तस्य मनुजस्य शेषदशा पूर्व्वदशातोतीवाशुभा भवति, एतेषां दुष्टवंश्यानामपि तथैव घटिष्यते।


तदनन्तरं फलसमय उपस्थिते स फलानि प्राप्तुं कृषीवलानां समीपं निजदासान् प्रेषयामास।


तस्मादहं युष्मान् वदामि, युष्मत्त ईश्वरीयराज्यमपनीय फलोत्पादयित्रन्यजातये दायिष्यते।


अनन्तरं स नृपतिस्तां वार्त्तां श्रुत्वा क्रुध्यन् सैन्यानि प्रहित्य तान् घातकान् हत्वा तेषां नगरं दाहयामास।


अपरञ्च, "स्थपतयः करिष्यन्ति ग्रावाणं यन्तु तुच्छकं। प्राधानप्रस्तरः कोणे स एव संभविष्यति।


ततस्तं धृत्वा हत्वा द्राक्षाक्षेत्राद् बहिः प्राक्षिपन्।


किन्तु ममाधिपतित्वस्य वशत्वे स्थातुम् असम्मन्यमाना ये मम रिपवस्तानानीय मम समक्षं संहरत।


अपरञ्च यिशायियोऽतिशयाक्षोभेण कथयामास, यथा, अधि मां यैस्तु नाचेष्टि सम्प्राप्तस्तै र्जनैरहं। अधि मां यै र्न सम्पृष्टं विज्ञातस्तै र्जनैरहं॥