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मार्क 1:34 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

ततः स नानाविधरोगिणो बहून् मनुजानरोगिणश्चकार तथा बहून् भूतान् त्याजयाञ्चकार तान् भूतान् किमपि वाक्यं वक्तुं निषिषेध च यतोहेतोस्ते तमजानन्।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

ততঃ স নানাৱিধৰোগিণো বহূন্ মনুজানৰোগিণশ্চকাৰ তথা বহূন্ ভূতান্ ত্যাজযাঞ্চকাৰ তান্ ভূতান্ কিমপি ৱাক্যং ৱক্তুং নিষিষেধ চ যতোহেতোস্তে তমজানন্|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

ততঃ স নানাৱিধরোগিণো বহূন্ মনুজানরোগিণশ্চকার তথা বহূন্ ভূতান্ ত্যাজযাঞ্চকার তান্ ভূতান্ কিমপি ৱাক্যং ৱক্তুং নিষিষেধ চ যতোহেতোস্তে তমজানন্|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

တတး သ နာနာဝိဓရောဂိဏော ဗဟူန် မနုဇာနရောဂိဏၑ္စကာရ တထာ ဗဟူန် ဘူတာန် တျာဇယာဉ္စကာရ တာန် ဘူတာန် ကိမပိ ဝါကျံ ဝက္တုံ နိၐိၐေဓ စ ယတောဟေတောသ္တေ တမဇာနန်၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

tataH sa nAnAvidharOgiNO bahUn manujAnarOgiNazcakAra tathA bahUn bhUtAn tyAjayAnjcakAra tAn bhUtAn kimapi vAkyaM vaktuM niSiSEdha ca yatOhEtOstE tamajAnan|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

તતઃ સ નાનાવિધરોગિણો બહૂન્ મનુજાનરોગિણશ્ચકાર તથા બહૂન્ ભૂતાન્ ત્યાજયાઞ્ચકાર તાન્ ભૂતાન્ કિમપિ વાક્યં વક્તું નિષિષેધ ચ યતોહેતોસ્તે તમજાનન્|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

tataH sa nAnAvidharogiNo bahUn manujAnarogiNazcakAra tathA bahUn bhUtAn tyAjayAJcakAra tAn bhUtAn kimapi vAkyaM vaktuM niSiSedha ca yatohetoste tamajAnan|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



मार्क 1:34
6 अन्तरसन्दर्भाः  

अनन्तरं भजनभवने समुपदिशन् राज्यस्य सुसंवादं प्रचारयन् मनुजानां सर्व्वप्रकारान् रोगान् सर्व्वप्रकारपीडाश्च शमयन् यीशुः कृत्स्नं गालील्देशं भ्रमितुम् आरभत।


तेन कृत्स्नसुरियादेशस्य मध्यं तस्य यशो व्याप्नोत्, अपरं भूतग्रस्ता अपस्मारर्गीणः पक्षाधातिप्रभृतयश्च यावन्तो मनुजा नानाविधव्याधिभिः क्लिष्टा आसन्, तेषु सर्व्वेषु तस्य समीपम् आनीतेषु स तान् स्वस्थान् चकार।


तदा यीशुस्तं तर्जयित्वा जगाद तूष्णीं भव इतो बहिर्भव च।


किन्तु स तान् दृढम् आज्ञाप्य स्वं परिचायितुं निषिद्धवान्।


ततो भूता बहुभ्यो निर्गत्य चीत्शब्दं कृत्वा च बभाषिरे त्वमीश्वरस्य पुत्रोऽभिषिक्तत्राता; किन्तु सोभिषिक्तत्रातेति ते विविदुरेतस्मात् कारणात् तान् तर्जयित्वा तद्वक्तुं निषिषेध।