ततस्ता भयात् महानन्दाञ्च श्मशानात् तूर्णं बहिर्भूय तच्छिष्यान् वार्त्तां वक्तुं धावितवत्यः। किन्तु शिष्यान् वार्त्तां वक्तुं यान्ति, तदा यीशु र्दर्शनं दत्त्वा ता जगाद,
लूका 8:47 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari तदा सा नारी स्वयं न गुप्तेति विदित्वा कम्पमाना सती तस्य सम्मुखे पपात; येन निमित्तेन तं पस्पर्श स्पर्शमात्राच्च येन प्रकारेण स्वस्थाभवत् तत् सर्व्वं तस्य साक्षादाचख्यौ। अधिकानि संस्करणानिসত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script তদা সা নাৰী স্ৱযং ন গুপ্তেতি ৱিদিৎৱা কম্পমানা সতী তস্য সম্মুখে পপাত; যেন নিমিত্তেন তং পস্পৰ্শ স্পৰ্শমাত্ৰাচ্চ যেন প্ৰকাৰেণ স্ৱস্থাভৱৎ তৎ সৰ্ৱ্ৱং তস্য সাক্ষাদাচখ্যৌ| সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script তদা সা নারী স্ৱযং ন গুপ্তেতি ৱিদিৎৱা কম্পমানা সতী তস্য সম্মুখে পপাত; যেন নিমিত্তেন তং পস্পর্শ স্পর্শমাত্রাচ্চ যেন প্রকারেণ স্ৱস্থাভৱৎ তৎ সর্ৱ্ৱং তস্য সাক্ষাদাচখ্যৌ| သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script တဒါ သာ နာရီ သွယံ န ဂုပ္တေတိ ဝိဒိတွာ ကမ္ပမာနာ သတီ တသျ သမ္မုခေ ပပါတ; ယေန နိမိတ္တေန တံ ပသ္ပရ္ၑ သ္ပရ္ၑမာတြာစ္စ ယေန ပြကာရေဏ သွသ္ထာဘဝတ် တတ် သရွွံ တသျ သာက္ၐာဒါစချော်၊ satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script tadA sA nArI svayaM na guptEti viditvA kampamAnA satI tasya sammukhE papAta; yEna nimittEna taM pasparza sparzamAtrAcca yEna prakArENa svasthAbhavat tat sarvvaM tasya sAkSAdAcakhyau| સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script તદા સા નારી સ્વયં ન ગુપ્તેતિ વિદિત્વા કમ્પમાના સતી તસ્ય સમ્મુખે પપાત; યેન નિમિત્તેન તં પસ્પર્શ સ્પર્શમાત્રાચ્ચ યેન પ્રકારેણ સ્વસ્થાભવત્ તત્ સર્વ્વં તસ્ય સાક્ષાદાચખ્યૌ| satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script tadA sA nArI svayaM na gupteti viditvA kampamAnA satI tasya sammukhe papAta; yena nimittena taM pasparza sparzamAtrAcca yena prakAreNa svasthAbhavat tat sarvvaM tasya sAkSAdAcakhyau| |
ततस्ता भयात् महानन्दाञ्च श्मशानात् तूर्णं बहिर्भूय तच्छिष्यान् वार्त्तां वक्तुं धावितवत्यः। किन्तु शिष्यान् वार्त्तां वक्तुं यान्ति, तदा यीशु र्दर्शनं दत्त्वा ता जगाद,
ततः सा स्त्री भीता कम्पिता च सती स्वस्या रुक्प्रतिक्रिया जातेति ज्ञात्वागत्य तत्सम्मुखे पतित्वा सर्व्ववृत्तान्तं सत्यं तस्मै कथयामास।
यीशुः कथयामास, केनाप्यहं स्पृष्टो, यतो मत्तः शक्ति र्निर्गतेति मया निश्चितमज्ञायि।
ततः स तां जगाद हे कन्ये सुस्थिरा भव, तव विश्वासस्त्वां स्वस्थाम् अकार्षीत् त्वं क्षेमेण याहि।
तदा प्रदीपम् आनेतुम् उक्त्वा स कम्पमानः सन् उल्लम्प्याभ्यन्तरम् आगत्य पौलसीलयोः पादेषु पतितवान्।
यूयं कीदृक् तस्याज्ञा अपालयत भयकम्पाभ्यां तं गृहीतवन्तश्चैतस्य स्मरणाद् युष्मासु तस्य स्नेहो बाहुल्येन वर्त्तते।
अतो हे प्रियतमाः, युष्माभि र्यद्वत् सर्व्वदा क्रियते तद्वत् केवले ममोपस्थितिकाले तन्नहि किन्त्विदानीम् अनुपस्थितेऽपि मयि बहुतरयत्नेनाज्ञां गृहीत्वा भयकम्पाभ्यां स्वस्वपरित्राणं साध्यतां।
अतएव निश्चलराज्यप्राप्तैरस्माभिः सोऽनुग्रह आलम्बितव्यो येन वयं सादरं सभयञ्च तुष्टिजनकरूपेणेश्वरं सेवितुं शक्नुयाम।