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लूका 6:35 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

अतो यूयं रिपुष्वपि प्रीयध्वं, परहितं कुरुत च; पुनः प्राप्त्याशां त्यक्त्वा ऋणमर्पयत, तथा कृते युष्माकं महाफलं भविष्यति, यूयञ्च सर्व्वप्रधानस्य सन्ताना इति ख्यातिं प्राप्स्यथ, यतो युष्माकं पिता कृतघ्नानां दुर्व्टत्तानाञ्च हितमाचरति।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

অতো যূযং ৰিপুষ্ৱপি প্ৰীযধ্ৱং, পৰহিতং কুৰুত চ; পুনঃ প্ৰাপ্ত্যাশাং ত্যক্ত্ৱা ঋণমৰ্পযত, তথা কৃতে যুষ্মাকং মহাফলং ভৱিষ্যতি, যূযঞ্চ সৰ্ৱ্ৱপ্ৰধানস্য সন্তানা ইতি খ্যাতিং প্ৰাপ্স্যথ, যতো যুষ্মাকং পিতা কৃতঘ্নানাং দুৰ্ৱ্টত্তানাঞ্চ হিতমাচৰতি|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

অতো যূযং রিপুষ্ৱপি প্রীযধ্ৱং, পরহিতং কুরুত চ; পুনঃ প্রাপ্ত্যাশাং ত্যক্ত্ৱা ঋণমর্পযত, তথা কৃতে যুষ্মাকং মহাফলং ভৱিষ্যতি, যূযঞ্চ সর্ৱ্ৱপ্রধানস্য সন্তানা ইতি খ্যাতিং প্রাপ্স্যথ, যতো যুষ্মাকং পিতা কৃতঘ্নানাং দুর্ৱ্টত্তানাঞ্চ হিতমাচরতি|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

အတော ယူယံ ရိပုၐွပိ ပြီယဓွံ, ပရဟိတံ ကုရုတ စ; ပုနး ပြာပ္တျာၑာံ တျက္တွာ ၒဏမရ္ပယတ, တထာ ကၖတေ ယုၐ္မာကံ မဟာဖလံ ဘဝိၐျတိ, ယူယဉ္စ သရွွပြဓာနသျ သန္တာနာ ဣတိ ချာတိံ ပြာပ္သျထ, ယတော ယုၐ္မာကံ ပိတာ ကၖတဃ္နာနာံ ဒုရွ္ဋတ္တာနာဉ္စ ဟိတမာစရတိ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

atO yUyaM ripuSvapi prIyadhvaM, parahitaM kuruta ca; punaH prAptyAzAM tyaktvA RNamarpayata, tathA kRtE yuSmAkaM mahAphalaM bhaviSyati, yUyanjca sarvvapradhAnasya santAnA iti khyAtiM prApsyatha, yatO yuSmAkaM pitA kRtaghnAnAM durvTattAnAnjca hitamAcarati|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

અતો યૂયં રિપુષ્વપિ પ્રીયધ્વં, પરહિતં કુરુત ચ; પુનઃ પ્રાપ્ત્યાશાં ત્યક્ત્વા ઋણમર્પયત, તથા કૃતે યુષ્માકં મહાફલં ભવિષ્યતિ, યૂયઞ્ચ સર્વ્વપ્રધાનસ્ય સન્તાના ઇતિ ખ્યાતિં પ્રાપ્સ્યથ, યતો યુષ્માકં પિતા કૃતઘ્નાનાં દુર્વ્ટત્તાનાઞ્ચ હિતમાચરતિ|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

ato yUyaM ripuSvapi prIyadhvaM, parahitaM kuruta ca; punaH prAptyAzAM tyaktvA RNamarpayata, tathA kRte yuSmAkaM mahAphalaM bhaviSyati, yUyaJca sarvvapradhAnasya santAnA iti khyAtiM prApsyatha, yato yuSmAkaM pitA kRtaghnAnAM durvTattAnAJca hitamAcarati|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



लूका 6:35
21 अन्तरसन्दर्भाः  

मेलयितारो मानवा धन्याः, यस्मात् त ईश्चरस्य सन्तानत्वेन विख्यास्यन्ति।


हे सर्व्वोपरिस्थेश्वरपुत्र यीशो भवता सह मे कः सम्बन्धः? अहं त्वामीश्वरेण शापये मां मा यातय।


स महान् भविष्यति तथा सर्व्वेभ्यः श्रेष्ठस्य पुत्र इति ख्यास्यति; अपरं प्रभुः परमेश्वरस्तस्य पितुर्दायूदः सिंहासनं तस्मै दास्यति;


अत एव स यथा दयालु र्यूयमपि तादृशा दयालवो भवत।


तेनैव यदि परस्परं प्रीयध्वे तर्हि लक्षणेनानेन यूयं मम शिष्या इति सर्व्वे ज्ञातुं शक्ष्यन्ति।


यदि यूयं प्रचूरफलवन्तो भवथ तर्हि तद्वारा मम पितु र्महिमा प्रकाशिष्यते तथा यूयं मम शिष्या इति परिक्षायिष्यध्वे।


तथापि आकाशात् तोयवर्षणेन नानाप्रकारशस्योत्पत्या च युष्माकं हितैषी सन् भक्ष्यैराननदेन च युष्माकम् अन्तःकरणानि तर्पयन् तानि दानानि निजसाक्षिस्वरूपाणि स्थपितवान्।


यूयञ्चास्मत्प्रभो र्यीशुख्रीष्टस्यानुग्रहं जानीथ यतस्तस्य निर्धनत्वेन यूयं यद् धनिनो भवथ तदर्थं स धनी सन्नपि युष्मत्कृते निर्धनोऽभवत्।


यतस्तात्कालिका लोका आत्मप्रेमिणो ऽर्थप्रेमिण आत्मश्लाघिनो ऽभिमानिनो निन्दकाः पित्रोरनाज्ञाग्राहिणः कृतघ्ना अपवित्राः