ऑनलाइन बाइबिल

विज्ञापनम्


समग्रं बाइबिलम् पुरातननियमः नवीननियमः




लूका 18:34 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

एतस्याः कथाया अभिप्रायं किञ्चिदपि ते बोद्धुं न शेकुः तेषां निकटेऽस्पष्टतवात् तस्यैतासां कथानाम् आशयं ते ज्ञातुं न शेकुश्च।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

এতস্যাঃ কথাযা অভিপ্ৰাযং কিঞ্চিদপি তে বোদ্ধুং ন শেকুঃ তেষাং নিকটেঽস্পষ্টতৱাৎ তস্যৈতাসাং কথানাম্ আশযং তে জ্ঞাতুং ন শেকুশ্চ|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

এতস্যাঃ কথাযা অভিপ্রাযং কিঞ্চিদপি তে বোদ্ধুং ন শেকুঃ তেষাং নিকটেঽস্পষ্টতৱাৎ তস্যৈতাসাং কথানাম্ আশযং তে জ্ঞাতুং ন শেকুশ্চ|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

ဧတသျား ကထာယာ အဘိပြာယံ ကိဉ္စိဒပိ တေ ဗောဒ္ဓုံ န ၑေကုး တေၐာံ နိကဋေ'သ္ပၐ္ဋတဝါတ် တသျဲတာသာံ ကထာနာမ် အာၑယံ တေ ဇ္ဉာတုံ န ၑေကုၑ္စ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

EtasyAH kathAyA abhiprAyaM kinjcidapi tE bOddhuM na zEkuH tESAM nikaTE'spaSTatavAt tasyaitAsAM kathAnAm AzayaM tE jnjAtuM na zEkuzca|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

એતસ્યાઃ કથાયા અભિપ્રાયં કિઞ્ચિદપિ તે બોદ્ધું ન શેકુઃ તેષાં નિકટેઽસ્પષ્ટતવાત્ તસ્યૈતાસાં કથાનામ્ આશયં તે જ્ઞાતું ન શેકુશ્ચ|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

etasyAH kathAyA abhiprAyaM kiJcidapi te boddhuM na zekuH teSAM nikaTe'spaSTatavAt tasyaitAsAM kathAnAm AzayaM te jJAtuM na zekuzca|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



लूका 18:34
9 अन्तरसन्दर्भाः  

किन्तु तत्कथां ते नाबुध्यन्त प्रष्टुञ्च बिभ्यः।


किन्तु तृतीयदिने स श्मशानाद् उत्थास्यति।


किन्तु तौ तस्यैतद्वाक्यस्य तात्पर्य्यं बोद्धुं नाशक्नुतां।


तदा स तावुवाच, हे अबोधौ हे भविष्यद्वादिभिरुक्तवाक्यं प्रत्येतुं विलम्बमानौ;


अथ तेभ्यः शास्त्रबोधाधिकारं दत्वावदत्,


किन्तु ते तां कथां न बुबुधिरे, स्पष्टत्वाभावात् तस्या अभिप्रायस्तेषां बोधगम्यो न बभूव; तस्या आशयः क इत्यपि ते भयात् प्रष्टुं न शेकुः।


यीशुस्तेभ्य इमां दृष्टान्तकथाम् अकथयत् किन्तु तेन कथितकथायास्तात्पर्य्यं ते नाबुध्यन्त।


अस्याः घटनायास्तात्पर्य्यं शिष्याः प्रथमं नाबुध्यन्त, किन्तु यीशौ महिमानं प्राप्ते सति वाक्यमिदं तस्मिन अकथ्यत लोकाश्च तम्प्रतीत्थम् अकुर्व्वन् इति ते स्मृतवन्तः।