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लूका 13:19 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

यत् सर्षपबीजं गृहीत्वा कश्चिज्जन उद्यान उप्तवान् तद् बीजमङ्कुरितं सत् महावृक्षोऽजायत, ततस्तस्य शाखासु विहायसीयविहगा आगत्य न्यूषुः, तद्राज्यं तादृशेन सर्षपबीजेन तुल्यं।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

যৎ সৰ্ষপবীজং গৃহীৎৱা কশ্চিজ্জন উদ্যান উপ্তৱান্ তদ্ বীজমঙ্কুৰিতং সৎ মহাৱৃক্ষোঽজাযত, ততস্তস্য শাখাসু ৱিহাযসীযৱিহগা আগত্য ন্যূষুঃ, তদ্ৰাজ্যং তাদৃশেন সৰ্ষপবীজেন তুল্যং|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

যৎ সর্ষপবীজং গৃহীৎৱা কশ্চিজ্জন উদ্যান উপ্তৱান্ তদ্ বীজমঙ্কুরিতং সৎ মহাৱৃক্ষোঽজাযত, ততস্তস্য শাখাসু ৱিহাযসীযৱিহগা আগত্য ন্যূষুঃ, তদ্রাজ্যং তাদৃশেন সর্ষপবীজেন তুল্যং|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

ယတ် သရ္ၐပဗီဇံ ဂၖဟီတွာ ကၑ္စိဇ္ဇန ဥဒျာန ဥပ္တဝါန် တဒ် ဗီဇမင်္ကုရိတံ သတ် မဟာဝၖက္ၐော'ဇာယတ, တတသ္တသျ ၑာခါသု ဝိဟာယသီယဝိဟဂါ အာဂတျ နျူၐုး, တဒြာဇျံ တာဒၖၑေန သရ္ၐပဗီဇေန တုလျံ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

yat sarSapabIjaM gRhItvA kazcijjana udyAna uptavAn tad bIjamagkuritaM sat mahAvRkSO'jAyata, tatastasya zAkhAsu vihAyasIyavihagA Agatya nyUSuH, tadrAjyaM tAdRzEna sarSapabIjEna tulyaM|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

યત્ સર્ષપબીજં ગૃહીત્વા કશ્ચિજ્જન ઉદ્યાન ઉપ્તવાન્ તદ્ બીજમઙ્કુરિતં સત્ મહાવૃક્ષોઽજાયત, તતસ્તસ્ય શાખાસુ વિહાયસીયવિહગા આગત્ય ન્યૂષુઃ, તદ્રાજ્યં તાદૃશેન સર્ષપબીજેન તુલ્યં|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

yat sarSapabIjaM gRhItvA kazcijjana udyAna uptavAn tad bIjamaGkuritaM sat mahAvRkSo'jAyata, tatastasya zAkhAsu vihAyasIyavihagA Agatya nyUSuH, tadrAjyaM tAdRzena sarSapabIjena tulyaM|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



लूका 13:19
38 अन्तरसन्दर्भाः  

यीशुना ते प्रोक्ताः, युष्माकमप्रत्ययात्;


पुनः सोऽकथयद् ईश्वरराज्यं केन समं? केन वस्तुना सह वा तदुपमास्यामि?


प्रभुरुवाच, यदि युष्माकं सर्षपैकप्रमाणो विश्वासोस्ति तर्हि त्वं समूलमुत्पाटितो भूत्वा समुद्रे रोपितो भव कथायाम् एतस्याम् एतदुडुम्बराय कथितायां स युष्माकमाज्ञावहो भविष्यति।


ततः परं ये सानन्दास्तां कथाम् अगृह्लन् ते मज्जिता अभवन्। तस्मिन् दिवसे प्रायेण त्रीणि सहस्राणि लोकास्तेषां सपक्षाः सन्तः


इति श्रुत्वा ते प्रभुं धन्यं प्रोच्य वाक्यमिदम् अभाषन्त, हे भ्रात र्यिहूदीयानां मध्ये बहुसहस्राणि लोका विश्वासिन आसते किन्तु ते सर्व्वे व्यवस्थामताचारिण एतत् प्रत्यक्षं पश्यसि।


तथापि ये लोकास्तयोरुपदेशम् अशृण्वन् तेषां प्रायेण पञ्चसहस्राणि जना व्यश्वसन्।


केवलं तान्येव विनान्यस्य कस्यचित् कर्म्मणो वर्णनां कर्त्तुं प्रगल्भो न भवामि। तस्मात् आ यिरूशालम इल्लूरिकं यावत् सर्व्वत्र ख्रीष्टस्य सुसंवादं प्राचारयं।


अनन्तरं सप्तदूतेन तूर्य्यां वादितायां स्वर्ग उच्चैः स्वरैर्वागियं कीर्त्तिता, राजत्वं जगतो यद्यद् राज्यं तदधुनाभवत्। अस्मत्प्रभोस्तदीयाभिषिक्तस्य तारकस्य च। तेन चानन्तकालीयं राजत्वं प्रकरिष्यते॥