यश्च मानवस्त्वां याचते, तस्मै देहि, यदि कश्चित् तुभ्यं धारयितुम् इच्छति, तर्हि तं प्रति परांमुखो मा भूः।
लूका 11:10 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari यो याचते स प्राप्नोति, यो मृगयते स एवोद्देशं प्राप्नोति, यो द्वारम् आहन्ति तदर्थं द्वारं मोच्यते। अधिकानि संस्करणानिসত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script যো যাচতে স প্ৰাপ্নোতি, যো মৃগযতে স এৱোদ্দেশং প্ৰাপ্নোতি, যো দ্ৱাৰম্ আহন্তি তদৰ্থং দ্ৱাৰং মোচ্যতে| সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script যো যাচতে স প্রাপ্নোতি, যো মৃগযতে স এৱোদ্দেশং প্রাপ্নোতি, যো দ্ৱারম্ আহন্তি তদর্থং দ্ৱারং মোচ্যতে| သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script ယော ယာစတေ သ ပြာပ္နောတိ, ယော မၖဂယတေ သ ဧဝေါဒ္ဒေၑံ ပြာပ္နောတိ, ယော ဒွါရမ် အာဟန္တိ တဒရ္ထံ ဒွါရံ မောစျတေ၊ satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script yO yAcatE sa prApnOti, yO mRgayatE sa EvOddEzaM prApnOti, yO dvAram Ahanti tadarthaM dvAraM mOcyatE| સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script યો યાચતે સ પ્રાપ્નોતિ, યો મૃગયતે સ એવોદ્દેશં પ્રાપ્નોતિ, યો દ્વારમ્ આહન્તિ તદર્થં દ્વારં મોચ્યતે| satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script yo yAcate sa prApnoti, yo mRgayate sa evoddezaM prApnoti, yo dvAram Ahanti tadarthaM dvAraM mocyate| |
यश्च मानवस्त्वां याचते, तस्मै देहि, यदि कश्चित् तुभ्यं धारयितुम् इच्छति, तर्हि तं प्रति परांमुखो मा भूः।
यस्माद् येन याच्यते, तेन लभ्यते; येन मृग्यते तेनोद्देशः प्राप्यते; येन च द्वारम् आहन्यते, तत्कृते द्वारं मोच्यते।
अतः कारणात् कथयामि, याचध्वं ततो युष्मभ्यं दास्यते, मृगयध्वं तत उद्देशं प्राप्स्यथ, द्वारम् आहत ततो युष्मभ्यं द्वारं मोक्ष्यते।
अपरञ्च लोकैरक्लान्तै र्निरन्तरं प्रार्थयितव्यम् इत्याशयेन यीशुना दृष्टान्त एकः कथितः।
यूयं प्रार्थयध्वे किन्तु न लभध्वे यतो हेतोः स्वसुखभोगेषु व्ययार्थं कु प्रार्थयध्वे।
पश्यत धैर्य्यशीला अस्माभि र्धन्या उच्यन्ते। आयूबो धैर्य्यं युष्माभिरश्रावि प्रभोः परिणामश्चादर्शि यतः प्रभु र्बहुकृपः सकरुणश्चास्ति।