यो युष्माकमातिथ्यं विदधाति, स ममातिथ्यं विदधाति, यश्च ममातिथ्यं विदधाति, स मत्प्रेरकस्यातिथ्यं विदधाति।
लूका 10:16 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari यो जनो युष्माकं वाक्यं गृह्लाति स ममैव वाक्यं गृह्लाति; किञ्च यो जनो युष्माकम् अवज्ञां करोति स ममैवावज्ञां करोति; यो जनो ममावज्ञां करोति च स मत्प्रेरकस्यैवावज्ञां करोति। अधिकानि संस्करणानिসত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script যো জনো যুষ্মাকং ৱাক্যং গৃহ্লাতি স মমৈৱ ৱাক্যং গৃহ্লাতি; কিঞ্চ যো জনো যুষ্মাকম্ অৱজ্ঞাং কৰোতি স মমৈৱাৱজ্ঞাং কৰোতি; যো জনো মমাৱজ্ঞাং কৰোতি চ স মৎপ্ৰেৰকস্যৈৱাৱজ্ঞাং কৰোতি| সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script যো জনো যুষ্মাকং ৱাক্যং গৃহ্লাতি স মমৈৱ ৱাক্যং গৃহ্লাতি; কিঞ্চ যো জনো যুষ্মাকম্ অৱজ্ঞাং করোতি স মমৈৱাৱজ্ঞাং করোতি; যো জনো মমাৱজ্ঞাং করোতি চ স মৎপ্রেরকস্যৈৱাৱজ্ঞাং করোতি| သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script ယော ဇနော ယုၐ္မာကံ ဝါကျံ ဂၖဟ္လာတိ သ မမဲဝ ဝါကျံ ဂၖဟ္လာတိ; ကိဉ္စ ယော ဇနော ယုၐ္မာကမ် အဝဇ္ဉာံ ကရောတိ သ မမဲဝါဝဇ္ဉာံ ကရောတိ; ယော ဇနော မမာဝဇ္ဉာံ ကရောတိ စ သ မတ္ပြေရကသျဲဝါဝဇ္ဉာံ ကရောတိ၊ satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script yO janO yuSmAkaM vAkyaM gRhlAti sa mamaiva vAkyaM gRhlAti; kinjca yO janO yuSmAkam avajnjAM karOti sa mamaivAvajnjAM karOti; yO janO mamAvajnjAM karOti ca sa matprErakasyaivAvajnjAM karOti| સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script યો જનો યુષ્માકં વાક્યં ગૃહ્લાતિ સ મમૈવ વાક્યં ગૃહ્લાતિ; કિઞ્ચ યો જનો યુષ્માકમ્ અવજ્ઞાં કરોતિ સ મમૈવાવજ્ઞાં કરોતિ; યો જનો મમાવજ્ઞાં કરોતિ ચ સ મત્પ્રેરકસ્યૈવાવજ્ઞાં કરોતિ| satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script yo jano yuSmAkaM vAkyaM gRhlAti sa mamaiva vAkyaM gRhlAti; kiJca yo jano yuSmAkam avajJAM karoti sa mamaivAvajJAM karoti; yo jano mamAvajJAM karoti ca sa matprerakasyaivAvajJAM karoti| |
यो युष्माकमातिथ्यं विदधाति, स ममातिथ्यं विदधाति, यश्च ममातिथ्यं विदधाति, स मत्प्रेरकस्यातिथ्यं विदधाति।
यः कश्चिदीदृशस्य कस्यापि बालस्यातिथ्यं करोति स ममातिथ्यं करोति; यः कश्चिन्ममातिथ्यं करोति स केवलम् ममातिथ्यं करोति तन्न मत्प्रेरकस्याप्यातिथ्यं करोति।
यो जनो मम नाम्नास्य बालास्यातिथ्यं विदधाति स ममातिथ्यं विदधाति, यश्च ममातिथ्यं विदधाति स मम प्रेरकस्यातिथ्यं विदधाति, युष्माकं मध्येयः स्वं सर्व्वस्मात् क्षुद्रं जानीते स एव श्रेष्ठो भविष्यति।
तदा यीशुरुच्चैःकारम् अकथयद् यो जनो मयि विश्वसिति स केवले मयि विश्वसितीति न, स मत्प्रेरकेऽपि विश्वसिति।
यः कश्चिन् मां न श्रद्धाय मम कथं न गृह्लाति, अन्यस्तं दोषिणं करिष्यति वस्तुतस्तु यां कथामहम् अचकथं सा कथा चरमेऽन्हि तं दोषिणं करिष्यति।
अहं युष्मानतीव यथार्थं वदामि, मया प्रेरितं जनं यो गृह्लाति स मामेव गृह्लाति यश्च मां गृह्लाति स मत्प्रेरकं गृह्लाति।
सा भूमि र्यदा तव हस्तगता तदा किं तव स्वीया नासीत्? तर्हि स्वान्तःकरणे कुत एतादृशी कुकल्पना त्वया कृता? त्वं केवलमनुष्यस्य निकटे मृषावाक्यं नावादीः किन्त्वीश्वरस्य निकटेऽपि।
तदानीं मम परीक्षकं शारीरक्लेशं दृष्ट्वा यूयं माम् अवज्ञाय ऋतीयितवन्तस्तन्नहि किन्त्वीश्वरस्य दूतमिव साक्षात् ख्रीष्ट यीशुमिव वा मां गृहीतवन्तः।
अतो हेतो र्यः कश्चिद् वाक्यमेतन्न गृह्लाति स मनुष्यम् अवजानातीति नहि येन स्वकीयात्मा युष्मदन्तरे समर्पितस्तम् ईश्वरम् एवावजानाति।