कुलुस्सियों 2:5 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari युष्मत्सन्निधौ मम शरीरेऽवर्त्तमानेऽपि ममात्मा वर्त्तते तेन युष्माकं सुरीतिं ख्रीष्टविश्वासे स्थिरत्वञ्च दृष्ट्वाहम् आनन्दामि। अधिकानि संस्करणानिসত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script যুষ্মৎসন্নিধৌ মম শৰীৰেঽৱৰ্ত্তমানেঽপি মমাত্মা ৱৰ্ত্ততে তেন যুষ্মাকং সুৰীতিং খ্ৰীষ্টৱিশ্ৱাসে স্থিৰৎৱঞ্চ দৃষ্ট্ৱাহম্ আনন্দামি| সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script যুষ্মৎসন্নিধৌ মম শরীরেঽৱর্ত্তমানেঽপি মমাত্মা ৱর্ত্ততে তেন যুষ্মাকং সুরীতিং খ্রীষ্টৱিশ্ৱাসে স্থিরৎৱঞ্চ দৃষ্ট্ৱাহম্ আনন্দামি| သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script ယုၐ္မတ္သန္နိဓော် မမ ၑရီရေ'ဝရ္တ္တမာနေ'ပိ မမာတ္မာ ဝရ္တ္တတေ တေန ယုၐ္မာကံ သုရီတိံ ခြီၐ္ဋဝိၑွာသေ သ္ထိရတွဉ္စ ဒၖၐ္ဋွာဟမ် အာနန္ဒာမိ၊ satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script yuSmatsannidhau mama zarIrE'varttamAnE'pi mamAtmA varttatE tEna yuSmAkaM surItiM khrISTavizvAsE sthiratvanjca dRSTvAham AnandAmi| સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script યુષ્મત્સન્નિધૌ મમ શરીરેઽવર્ત્તમાનેઽપિ મમાત્મા વર્ત્તતે તેન યુષ્માકં સુરીતિં ખ્રીષ્ટવિશ્વાસે સ્થિરત્વઞ્ચ દૃષ્ટ્વાહમ્ આનન્દામિ| satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script yuSmatsannidhau mama zarIre'varttamAne'pi mamAtmA varttate tena yuSmAkaM surItiM khrISTavizvAse sthiratvaJca dRSTvAham AnandAmi| |
यश्च बुभुक्षितः स स्वगृहे भुङ्क्तां। दण्डप्राप्तये युष्माभि र्न समागम्यतां। एतद्भिन्नं यद् आदेष्टव्यं तद् युष्मत्समीपागमनकाले मयादेक्ष्यते।
अतो हे मम प्रियभ्रातरः; यूयं सुस्थिरा निश्चलाश्च भवत प्रभोः सेवायां युष्माकं परिश्रमो निष्फलो न भविष्यतीति ज्ञात्वा प्रभोः कार्य्ये सदा तत्परा भवत।
युष्माकं लायदिकेयास्थभ्रातृणाञ्च कृते यावन्तो भ्रातरश्च मम शारीरिकमुखं न दृष्टवन्तस्तेषां कृते मम कियान् यत्नो भवति तद् युष्मान् ज्ञापयितुम् इच्छामि।
हे भ्रातरः मनसा नहि किन्तु वदनेन कियत्कालं युष्मत्तो ऽस्माकं विच्छेदे जाते वयं युष्माकं मुखानि द्रष्टुम् अत्याकाङ्क्षया बहु यतितवन्तः।
यतो वयं ख्रीष्टस्यांशिनो जाताः किन्तु प्रथमविश्वासस्य दृढत्वम् अस्माभिः शेषं यावद् अमोघं धारयितव्यं।
सा प्रत्याशास्माकं मनोनौकाया अचलो लङ्गरो भूत्वा विच्छेदकवस्त्रस्याभ्यन्तरं प्रविष्टा।
अतो विश्वासे सुस्थिरास्तिष्ठन्तस्तेन सार्द्धं युध्यत, युष्माकं जगन्निवासिभ्रातृष्वपि तादृशाः क्लेशा वर्त्तन्त इति जानीत।