स सपरिवारो भक्त ईश्वरपरायणश्चासीत्; लोकेभ्यो बहूनि दानादीनि दत्वा निरन्तरम् ईश्वरे प्रार्थयाञ्चक्रे।
1 तीमुथियुस 3:4 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari स्वपरिवाराणाम् उत्तमशासकेन पूर्णविनीतत्वाद् वश्यानां सन्तानानां नियन्त्रा च भवितव्यं। अधिकानि संस्करणानिসত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script স্ৱপৰিৱাৰাণাম্ উত্তমশাসকেন পূৰ্ণৱিনীতৎৱাদ্ ৱশ্যানাং সন্তানানাং নিযন্ত্ৰা চ ভৱিতৱ্যং| সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script স্ৱপরিৱারাণাম্ উত্তমশাসকেন পূর্ণৱিনীতৎৱাদ্ ৱশ্যানাং সন্তানানাং নিযন্ত্রা চ ভৱিতৱ্যং| သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script သွပရိဝါရာဏာမ် ဥတ္တမၑာသကေန ပူရ္ဏဝိနီတတွာဒ် ဝၑျာနာံ သန္တာနာနာံ နိယန္တြာ စ ဘဝိတဝျံ၊ satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script svaparivArANAm uttamazAsakEna pUrNavinItatvAd vazyAnAM santAnAnAM niyantrA ca bhavitavyaM| સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script સ્વપરિવારાણામ્ ઉત્તમશાસકેન પૂર્ણવિનીતત્વાદ્ વશ્યાનાં સન્તાનાનાં નિયન્ત્રા ચ ભવિતવ્યં| satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script svaparivArANAm uttamazAsakena pUrNavinItatvAd vazyAnAM santAnAnAM niyantrA ca bhavitavyaM| |
स सपरिवारो भक्त ईश्वरपरायणश्चासीत्; लोकेभ्यो बहूनि दानादीनि दत्वा निरन्तरम् ईश्वरे प्रार्थयाञ्चक्रे।
अतः समिति र्यद्वत् ख्रीष्टस्य वशीभूता तद्वद् योषिद्भिरपि स्वस्वस्वामिनो वशता स्वीकर्त्तव्या।
हे भ्रातरः, शेषे वदामि यद्यत् सत्यम् आदरणीयं न्याय्यं साधु प्रियं सुख्यातम् अन्येण येन केनचित् प्रकारेण वा गुणयुक्तं प्रशंसनीयं वा भवति तत्रैव मनांसि निधध्वं।
परिचारका एकैकयोषितो भर्त्तारो भवेयुः, निजसन्तानानां परिजनानाञ्च सुशासनं कुर्य्युश्च।
तस्माद् यो नरो ऽनिन्दित एकस्या योषितः स्वामी विश्वासिनाम् अपचयस्यावाध्यत्वस्य वा दोषेणालिप्तानाञ्च सन्तानानां जनको भवति स एव योग्यः।
विशेषतः प्राचीनलोका यथा प्रबुद्धा धीरा विनीता विश्वासे प्रेम्नि सहिष्णुतायाञ्च स्वस्था भवेयुस्तद्वत्
त्वञ्च सर्व्वविषये स्वं सत्कर्म्मणां दृष्टान्तं दर्शय शिक्षायाञ्चाविकृतत्वं धीरतां यथार्थं