अपरं यूयं सांसारिका इव माचरत, किन्तु स्वं स्वं स्वभावं परावर्त्य नूतनाचारिणो भवत, तत ईश्वरस्य निदेशः कीदृग् उत्तमो ग्रहणीयः सम्पूर्णश्चेति युष्माभिरनुभाविष्यते।
1 तीमुथियुस 1:8 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari सा व्यवस्था यदि योग्यरूपेण गृह्यते तर्ह्युत्तमा भवतीति वयं जानीमः। अधिकानि संस्करणानिসত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script সা ৱ্যৱস্থা যদি যোগ্যৰূপেণ গৃহ্যতে তৰ্হ্যুত্তমা ভৱতীতি ৱযং জানীমঃ| সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script সা ৱ্যৱস্থা যদি যোগ্যরূপেণ গৃহ্যতে তর্হ্যুত্তমা ভৱতীতি ৱযং জানীমঃ| သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script သာ ဝျဝသ္ထာ ယဒိ ယောဂျရူပေဏ ဂၖဟျတေ တရှျုတ္တမာ ဘဝတီတိ ဝယံ ဇာနီမး၊ satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script sA vyavasthA yadi yOgyarUpENa gRhyatE tarhyuttamA bhavatIti vayaM jAnImaH| સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script સા વ્યવસ્થા યદિ યોગ્યરૂપેણ ગૃહ્યતે તર્હ્યુત્તમા ભવતીતિ વયં જાનીમઃ| satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script sA vyavasthA yadi yogyarUpeNa gRhyate tarhyuttamA bhavatIti vayaM jAnImaH| |
अपरं यूयं सांसारिका इव माचरत, किन्तु स्वं स्वं स्वभावं परावर्त्य नूतनाचारिणो भवत, तत ईश्वरस्य निदेशः कीदृग् उत्तमो ग्रहणीयः सम्पूर्णश्चेति युष्माभिरनुभाविष्यते।
यतो मयि, अर्थतो मम शरीरे, किमप्युत्तमं न वसति, एतद् अहं जानामि; ममेच्छुकतायां तिष्ठन्त्यामप्यहम् उत्तमकर्म्मसाधने समर्थो न भवामि।
तर्हि व्यवस्था किम् ईश्वरस्य प्रतिज्ञानां विरुद्धा? तन्न भवतु। यस्माद् यदि सा व्यवस्था जीवनदानेसमर्थाभविष्यत् तर्हि व्यवस्थयैव पुण्यलाभोऽभविष्यत्।