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1 कुरिन्थियों 14:7 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

अपरं वंशीवल्लक्यादिषु निष्प्राणिषु वाद्ययन्त्रेषु वादितेषु यदि क्कणा न विशिष्यन्ते तर्हि किं वाद्यं किं वा गानं भवति तत् केन बोद्धुं शक्यते?

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

অপৰং ৱংশীৱল্লক্যাদিষু নিষ্প্ৰাণিষু ৱাদ্যযন্ত্ৰেষু ৱাদিতেষু যদি ক্কণা ন ৱিশিষ্যন্তে তৰ্হি কিং ৱাদ্যং কিং ৱা গানং ভৱতি তৎ কেন বোদ্ধুং শক্যতে?

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

অপরং ৱংশীৱল্লক্যাদিষু নিষ্প্রাণিষু ৱাদ্যযন্ত্রেষু ৱাদিতেষু যদি ক্কণা ন ৱিশিষ্যন্তে তর্হি কিং ৱাদ্যং কিং ৱা গানং ভৱতি তৎ কেন বোদ্ধুং শক্যতে?

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

အပရံ ဝံၑီဝလ္လကျာဒိၐု နိၐ္ပြာဏိၐု ဝါဒျယန္တြေၐု ဝါဒိတေၐု ယဒိ က္ကဏာ န ဝိၑိၐျန္တေ တရှိ ကိံ ဝါဒျံ ကိံ ဝါ ဂါနံ ဘဝတိ တတ် ကေန ဗောဒ္ဓုံ ၑကျတေ?

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

aparaM vaMzIvallakyAdiSu niSprANiSu vAdyayantrESu vAditESu yadi kkaNA na viziSyantE tarhi kiM vAdyaM kiM vA gAnaM bhavati tat kEna bOddhuM zakyatE?

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

અપરં વંશીવલ્લક્યાદિષુ નિષ્પ્રાણિષુ વાદ્યયન્ત્રેષુ વાદિતેષુ યદિ ક્કણા ન વિશિષ્યન્તે તર્હિ કિં વાદ્યં કિં વા ગાનં ભવતિ તત્ કેન બોદ્ધું શક્યતે?

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

aparaM vaMzIvallakyAdiSu niSprANiSu vAdyayantreSu vAditeSu yadi kkaNA na viziSyante tarhi kiM vAdyaM kiM vA gAnaM bhavati tat kena boddhuM zakyate?

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



1 कुरिन्थियों 14:7
7 अन्तरसन्दर्भाः  

वयं युष्माकं समीपे वंशीरवादयाम, किन्तु यूयं नानृत्यत; युष्माकं समीपे च वयमरोदिम, किन्तु यूयं न व्यलपत, तादृशै र्बालकैस्त उपमायिष्यन्ते।


ये बालका विपण्याम् उपविश्य परस्परम् आहूय वाक्यमिदं वदन्ति, वयं युष्माकं निकटे वंशीरवादिष्म, किन्तु यूयं नानर्त्तिष्ट, वयं युष्माकं निकट अरोदिष्म, किन्तु युयं न व्यलपिष्ट, बालकैरेतादृशैस्तेषाम् उपमा भवति।


मर्त्यस्वर्गीयाणां भाषा भाषमाणोऽहं यदि प्रेमहीनो भवेयं तर्हि वादकतालस्वरूपो निनादकारिभेरीस्वरूपश्च भवामि।


हे भ्रातरः, इदानीं मया यदि युष्मत्समीपं गम्यते तर्हीश्वरीयदर्शनस्य ज्ञानस्य वेश्वरीयादेशस्य वा शिक्षाया वा वाक्यानि न भाषित्वा परभाषां भाषमाणेन मया यूयं किमुपकारिष्यध्वे?


अपरं रणतूर्य्या निस्वणो यद्यव्यक्तो भवेत् तर्हि युद्धाय कः सज्जिष्यते?