बौ रस्ता के किनार अंजीर को पेड़ देक्कै उसके धौंरे गओ, पर उसकै उसमै पत्तौ के सिबा कुछ ना मिलो। तब बानै पेड़ सै कैई, “तैमै फिर कबी फल ना लगैं!” और उसई बखत अंजीर को बौ पेड़ सूक गओ।
हर एक घड़ी मै मैंनै मैहनत कर करकै तुमरे सामने दिखाओ है कै दूसरौं की कैसे सायता करैं। परभु ईसु के बचन कै याद रक्खौ जो बानै कैओ हो कै, ‘माँगनै सै दैनो जादा अच्छो है।’ ”
ओ भईयौ और बहनौ, तुम याद रक्खौ कै हमनै तुमरे बीच मै रात-दिन मैहनत को काम इसताँई करो है, जिस्सै कै हम परमेसर की अच्छी खबर कै सुनाते भए किसी के ऊपर बोज ना बनै।
जौ बात सच है, और मैं चाँहौ हौं कै, तू इन बातौं के बारे मै हिम्मत सै बोलै, इसताँई कै जिनौनै परमेसर मै बिसवास करो है, बे भले भले कामौ मै लगे रैहनै को धियान रक्खैं। जे बात भली और आदमिऔ के काम की हैं।