और ना सिरप बेई पर हम बी जिनकै आत्मा को पैलो फल मिलो है, खुदई अपने भीतर कैंखैं हैं। कैसेकै हम परमेसर की औलाद बन्नै को और अपने सरीर की मुक्ति पानै को पैंड़ो देख रए हैं।
मेरी इच्छा और आस जौई है कै चाँहे मैं मरौं या जिन्दो रैहऔ मेरी किसी बात मै बेजती ना होए, पर मेरे सरीर सै हमेसा पूरी हिम्मत के संग मसी की महिमा होती रैहऐ जैसी हमेसा होवै है, और अब्बी हो रई है।
मेरे पियारे भईयौ, अब हम परमेसर की औलाद हैं, मगर जौ अबी तक परकट ना भओ है कै हम का बनंगे। हम इतनो जानै हैं कै जब परमेसर को लौंड़ा परकट होगो, तौ हम बाके जैसेई हो जांगे, कैसेकै हम बाकै बैसेई देखंगे जैसो बौ है।