18 कैसेकै मैं जानौ हौं कै मेरे भीतर यानी मेरे सरीर मै कोई बी अच्छी चीज ना बसै है। अच्छे काम कन्नै की इच्छा तौ मेरे भीतर है पर अच्छे काम मैंसै ना होवै हैं।
जब तुम बुरे होते भए बी, अपने बालकौ कै अच्छी चीज दैनो चाँहौ हौ, तौ तुमरो सुरग मै रैहनै बारो पिता अपने माँगनै बारौ कै सबसै अच्छो ईनाम पबित्तर आत्मा काए ना देगो?”
कैसेकै सरीर की इच्छा आत्मा के बिरोद मै है, और आत्मा की इच्छा सरीर के बिरोद मै है। जे दौनौ आपस मै बिरोदी हैं। इसताँई कै जो तुम कन्नो चाँहौ हौ, बाकै ना कर पावौ हौ।
इसको जौ मतलब ना है, कै मैं अपनो मकसद पूरो कर चुको, या सिद्द हो चुको हौं, पर बा मकसद कै पूरो कन्नै के ताँई अग्गे बढ़तो जाबौ हौं, जिसके ताँई मसी ईसु नै मैंकै अपनो बनाओ है।
कैसेकै हम बी पैले, मूरख और आगियाँ ना माननै बारे, और भरम मै पड़े भए और हर तरै की बुरी बासनाऔ और सुकबिलास के गुलाम हे, बैरभाव, जरन और नफरत कन्नै मै जिन्दगी बिता रए हे, हम सै लोग नफरत करै हे, और हम बी एक दूसरे सै बैर रक्खै हे।