4 उनसै कैई गई कै बे ना तौ धरती की घाँस कै, ना किसी हरियाली कै, ना किसी पेड़ौ कै नुकसान पौंचाऐ, पर उन आदमिऔ कै नुकसान पौंचाऐ जिनके माथे मै परमेसर की मौहर ना है।
फिर मैंनै देखो कै मेरे सामने सिओन पहाड़ मै बौ मैमना खड़ो है। उसके संग एक लाख चबालीस हजार आदमी हैं, जिनके माथेऔ मै उसको नाम और उसके अब्बा को नाम लिखो हो।
और मैंनै उन चारौ पिरानिऔ के बीच मै सै एक अबाज जौ कैते भए सुनी, “एक दिन की डिहाड़ी के बदले किलो भर गैहूं और एक दिन की डिहाड़ी के बदले तीन किलो जई, पर तेल और अंगूर के रस को नुकसान मत करिए।”
इसके बाद मैंनै धरती के चारौ कौहनेऔ मै चार सुरगदूत खड़े देखे। बे धरती की चारौ लंग की हवाऔं कै थामे भए हे जिस्सै धरती और समन्दर या किसी बी पेड़ मै हवा ना चलै।
पैले सुरगदूत नै तुरही बजाई, और खून मै सने भए ओरे और आग पैदा भई और धरती मै गिर पड़ी, जिस्सै एक तिहाई हिस्सा जमीन को जरकै भसम हो गओ, एक तिहाई पेड़ जर गए और सैरी हरी घाँस जरकै भसम हो गई।