3 फिर एक और सुरगदूत सौने को धूपदान लेए भए आओ, और बेदी के धौंरे खड़ो हो गओ। बाकै भौत सी धूपबत्ती देई गंई कै सब पबित्तर लोगौ की पिराथनाऔ के संग जो सिंगासन के सामने सौने की बेदी है उसमै चढ़ाऐ।
फिर कौन है जो सजा की आगियाँ देगो? मसी ईसु बौ हो जो मर गओ पर बौ मुरदौं मै सै फिर जी उठो, और परमेसर के खाने हात की ओर बैठो है, और हमरे ताँई बिनती बी करै है।
उसमै खसबोई बारी चीजौ कै जरानै के ताँई सौने की धूपदानी ही और चारौ लंग सै सौने सै मढ़ो भओ बाचा को सन्दूक, जिसमै मन्ना सै भरो सौने को बरतन, हारून की लठिया जिसमै कन्छी लिकरी हीं और बे पत्थर की तकती जिसमै करारनामो लिखो भओ हो।
फिर मैंनै एक दूसरे सकतिसाली सुरगदूत कै बादर ओढ़े भए आसमान सै उतरते देखो, उसकी खोपड़ी मै धनकमान हो बाको मौह सूरज के जैसे और बाके पाँऐ आग के खम्मा के जैसे हे।
तबई बेदी सै एक और सुरगदूत लिकरो उसको आग मै अधकार हो। उसनै जिसके धौंरे पैनो दरांत हो उस्सै ऊँची अबाज मै कैई, “अपनो पैनो दरांत लाकै धरती के अंगूर की बेल सै अंगूर के गुच्छा काट ले, कैसेकै उसके अंगूर पक चुके हैं।”
जब उसनै किताब ले लई, तौ बे चारौ पिरानी और चौबीसौं बुजरग उस मैमना के सामने गिर पड़े। उनमै सै हर एक के हात मै बींड़ा हो और धूपबत्ती सै भरे भए सौने के कटोरा हे, जो पबित्तर लोगौ की पिराथना है।
फिर मैंनै एक और सुरगदूत कै जिन्दे परमेसर की मौहर लेए भए अगार सै आते भए देखो, उसनै उन चारौ सुरगदूतौं सै जिनकै धरती और समन्दर कै उजाड़नै को अधकार मिलो हो, जोर सै ऊँची अबाज मै चिल्लाकै कैई,