2 और सैहर की सड़कौं के बीच सै बैहती भई नद्दी के किनार, दौनौ लंग जिन्दगी के पेड़ हे, उसमै बारैह बार फल लगै हे, और बौ हर महीना फलावै हो, और उस पेड़ के पत्तौ सै जाति-जाति के लोगौ को इलाज होवै हो।
“परभु की आत्मा मैं मैई समाई है और उसनै मैंकै चुनो है जिस्सै मैं गरीबौ कै अच्छी खबर सुनाऔं। और मैं इसताँई भेजो गओ हौं कै कैदिऔ कै छुटकारे को और अन्धौ कै देखनै की अच्छी खबर बताऔं और दबे भएऔं कै छुड़ाऔं
बौ हमरे पापौं कै अपने सरीर मै लेए भए कुरूस मै चढ़ गओ जिस्सै कै हम पापौं के ताँई मरै और धारमिकता के ताँई जिन्दगी जीऐं, कैसेकै पबित्तर सास्तर मै लिखो है, “बाईके मार खाने सै तुम अच्छे भए हौ।”
“जिसके कान हौं बौ सुन ले कै आत्मा बिसवासिऔ की मंडलिऔ सै का कैबै है। जो जै पाऐ, मैं बाकै उस जिन्दगी के पेड़ मै सै फल खानै कै दंगो जो परमेसर के बगीचा मै है।
और अगर कोई इस भबिसबानी की किताब की लिखी भई बातौं मै सै कुछ हटागो, तौ परमेसर जिन्दगी के पेड़ और पबित्तर सैहर मै सै जिसको जिकर इस किताब मै है, उसको हिस्सा छीन लेगो।