4 और चौबीस बुजरगौं और चारौ पिरानिऔ नै सिंगासन मै बैठे परमेसर के सामने मौह के बल गिरकै डन्डौत करो और कैई, “ऐंसोई होए! परमेसर के नाम की जै जैकार हो”
और जिन बातौं की आगियाँ मैंनै तुमकै दई है, उनकै उनमै चलनो सिकाऔ, और देखौ, मैं दुनिया के अन्त तक हमेसा तुमरे संग रैहंगो।”
और हमकै पाप मै ना पड़न दे, पर बुराई सै बचा, (कैसेकै राज और पराकरम और महिमा हमेसा तेरेई हैं। ऐंसोई होए)।
पर अगर तू आत्मा सै धन्नबाद करैगो, तौ फिर सीदो सादो आदमी तेरे धन्नबाद मै “आमीन” कैसे बोलंगे? कैसेकै बे तौ ना जानै हैं कै तू का कैबै है?
फिर उन चारौ पिरानिऔ मै सै एक नै उन सातौं सुरगदूतौं कै सौने के कटोरा दए जे कटोरा हमेसा जिन्दे रैहनै बारे अमर परमेसर के घुस्सा सै भरे भए हे।
इसके बाद मैंनै सुरग मै एक बड़ी भीड़ कै ऊँची अबाज मै जौ कैते सुनो, “परमेसर के नाम की जै जैकार हो, मुक्ति, बड़ाई और सकति हमरे परमेसर की है।
फिर उनौनै दूसरी बार कैई, “परमेसर के नाम की जै जैकार हो और उस सैहर को जरनै को धुआँ हमेसा तक उठतो रैहगो।”
फिर मैंनै एक बड़ी भीड़ की अबाज जो, समन्दर की लहरौं और गरजते भए बादरौं जैसी तेज अबाज कै जौ कैते भए सुनो, “परमेसर के नाम की जै जैकार हो! कैसेकै हमरे परभु परमेसर सरब सकतिमान को राज है।
और चारौ पिरानिऔ नै कैई, “ऐंसोई होए!” और बुजरगौं नै मौह के बल गिरकै आराधना करी।