7 जितनी उसनै अपनी बड़ाई बतकाँई और सुख और खुसी मनाई है, उतनोई उसकै दरद और दुख देईओ, कैसेकै बौ अपने मन मै कैबै है, मैं रानी के जैसी सिंगासन मै बैठी हौं, मैं राँड़ ना हौं और कबी दुखी ना हौंगो।
कैसेकै सब जातिऔं नै उसके बैबिचार की इच्छा की दारू पीई है। और धरती के राजाऔं नै उसके संग बैबिचार करो है और धरती के ब्यापारी उसकी धन-दौलत की सकति सै और जादा सेट हो गए हैं।”