“अरे कपटी सास्तरिऔं और फरीसिऔं! धिक्कार तुम लोगौ मै, तुम चूना सै लिपि-पुति भई समादी हौ, जो बाहार सै तौ अच्छी दिखै है, पर भीतर सै मुरदौं की हड्डिऔं और हर तरै की गन्दगी सै भरी पड़ी है।
“जिस्सै धरती मै धरमात्माऔ को जितनो खून बहाओ गओ धरमी हाबिल के खून सै लेकै बिरिक्याह के लौंड़ा जकरयाह के खून तक, जो तुम लोगौ नै मन्दर और बेदी के बीच मार डारो हो, बौ सब तुमरे सिर पड़ैगो।
का ऐंसो कोई बी नबी बचो है जिनकै तुमरे बापदादौं नै सताओ ना होए? और उनौनैई उनकै बी मार डारो जिनौनै भौत पैलेई बा धरमी के आनै की खबर दई ही, बाई धरमी कै अब तुमनै धोको देकै पकड़बाओ और मरवा दओ।
कैसेकै उसको फैसला सच्चो और ठीक है, इसताँई कै उसनै उस बड़ी रन्डी कै जो अपने बैबिचार के कामौ सै धरती कै खराब कर रई ही, नियाय करो है, और उस्सै अपने दासौं के खून को बदलो लओ है।”