और उस्सै कैई, “हर एक आदमी पैले बढ़िया अंगूर को रस देवै है, और जब लोग पीकै छक जावै हैं, तौ घटिया बारो। पर तैनै तौ अब तक बढ़िया अंगूर को रस बचाकै रखर खाऔ है।”
दूसरे जनाबर कै जौ सकति देई गई ही कै बौ पैले जनाबर की मूरती मै जान डार दे ताकि पैले जनाबर की बौ मूरती ना सिरप बोल सकै, पर उन सबई कै मार डान्नै की आगियाँ बी दे सकै, जो इस मूरती की पूजा ना करैं हैं।
“मैं जौ जानौ हौं कै तू बहाँ रैहबै है जहाँ सैतान को राज है। तू मेरे नाम मै खड़ो रैहबै है, और मेरे ऊपर बिसवास कन्नै सै उन दिनौ मै बी पीछे ना हटो जब मेरो ईमानदार गभा अन्तिपास, तुमरे बीच उस जघै मै मारो गओ जहाँ सैतान को अड्डा है।