2 मैंकै काँच को एक समन्दर दिखाई दओ जिसमै आग मिली भई ही। और जिनौनै उस जनाबर और उसकी मूरती मै और उसके नाम की संखिया मै जीत पाई ही, बे काँच के समन्दर के धौंरे परमेसर की बींड़ा कै लेए भए खड़े हे।
मैं तौ पानी सै तुमकै मन फिरानै को जल संस्कार देवौ हौं, पर जो मेरे बाद आनै बारो है, बौ मैंसै महान है, मैं तौ उसके जूता के फीता खोलनै के लायक बी ना हौं, बौ तुमकै पबित्तर आत्मा और आग सै जल संस्कार देगो।
तब मैंनै एक जनाबर कै समन्दर सै बाहार लिकरते देखो, उसके दस सींग और सात खोपड़ी हीं। उसके सींगौ मै दस मुकट हे और उसके खोपड़ी मै परमेसर की बुराई कन्नै बारे नाम लिखे हे।
और उन चमत्कार के चिन्नौ के कारन, जिनकै उस जनाबर के सामने दिखानै को अधकार बाकै देओ गओ हो, बौ धरती मै रैहनै बारौं कै इस तरै बैहकाबै हो, कै धरती मै रैहनै बारौं जिस जनाबर के तरवार लगी ही, बौ जिन्दो हो गओ है, उसकी मूरती बनाऔ।
जब उसनै किताब ले लई, तौ बे चारौ पिरानी और चौबीसौं बुजरग उस मैमना के सामने गिर पड़े। उनमै सै हर एक के हात मै बींड़ा हो और धूपबत्ती सै भरे भए सौने के कटोरा हे, जो पबित्तर लोगौ की पिराथना है।