कैसेकै बौ अपने ताँई एक ऐंसी चमकदार बिसवासिऔ की मंडली बनाकै खड़ी कन्नी चाँहै हो जिसमै ना तौ कोई दाग, ना झुररी और ना कोई दोस हो, बलकन पबित्तर और निरदोस हो।
मसी को खून भौत कुछ कर सकै है, मसी तौ हमेसा की आत्मा के दुआरा हमरे परमेसर के सामने निरदोस चढ़ाबो करकै खुद कै चढ़ाओ, तब तौ बाको खून जरूर मौत की ओर लेजानै बारे कामौ सै हमरे मन कै सुद्द करैगो, जिस्सै हम जिन्दे परमेसर की सेवा करैं।
कैसेकै “जो कोई अपनी जिन्दगी सै पियार रक्खै है और अच्छे दिन की इच्छा रक्खै है, बौ अपनी जीब कै बुरी और अपने ओठौं कै धोके बारी बात कन्नै सै रोके रैह।