“जिसके कान हौं बौ सुन ले आत्मा बिसवासिऔ की मंडलिऔ सै का कैबै है। “जो जै पाय, उसकै मैं गुप्त मन्ना मै सै दंगो और उसकै एक सपेद पत्थर बी दंगो और उस पत्थर मै एक नओ नाम लिखो भओ होगो, जिसकै बाके लैनै बारे के अलाबा और कोई ना जानैगो।
“जिसके कान हौं बौ सुन ले कै आत्मा बिसवासिऔ की मंडलिऔ सै का कैबै है। जो जै पाऐ, मैं बाकै उस जिन्दगी के पेड़ मै सै फल खानै कै दंगो जो परमेसर के बगीचा मै है।