कैसेकै मसी आदमी के हात सै बनाई भई पबित्तर जघै मै ना गओ जो सच्चे पबित्तर जघै की एक नकल है। पर अब हमरी ओर सै बौ परमेसर के सामने परकट होनै के ताँई सुरग मै गओ।
इसताँई हे सुरग और उनमै रैहनै बारे खुसी मनाऔ। पर हे धरती और समन्दर, तुमरे ऊपर हाय! कैसेकै सैतान बड़ी घुस्सा के संग तुमरे धौंरे उतर आओ है, कैसेकै बौ जानै है कै, बाको थोड़ोई टैम और बाकी है।”
तबई सिंगासन सै एक ऊँची अबाज मै मैंनै जौ कैते भए सुनो, “देखौ अब परमेसर को डेरा आदमिऔ के बीच मै है और बौ उनके बीच मै रैहगो। बे उसके लोग हौंगे और परमेसर खुदई उन लोगौ के संग रैहगो।
इन बातौं के बाद मैंनै नजर उठांई तौ का देखौ हौं कै सुरग मै एक मौहड़ो खुलो भओ है, और तुरही की अबाज के जैसी जो पैली अबाज मैंनै सुनी, बानै कैई, “हिंया ऊपर आ, और मैं बे बात तेकै दिखांगो, जिनको इन बातौं के बाद पूरो होनो जरूरी है।”
फिर मैंनै सुरग मै और धरती मै और धरती के नीचे और समन्दर की सब बनाई भई चीजौ कै और सब कुछ कै जो उनमै है, जौ कैते भए सुनो, “जो सिंगासन मै बैठो है उसको और मैमना को धन्नबाद और आदर, महिमा और तागत युगौं-युगौं तक रैह।”
इसके बाद मैंनै नजर करी, और देखो, कै हर एक गोत, जाति, और हर एक भासा के लोगौ की एक ऐंसी भीड़ ही जिसकै कोई गिन ना सकै हो, बे सपेद लत्ता पैहरे भए और अपने हातौ मै खजूर के डुग्गे लेए भए सिंगासन और मैमना के सामने खड़े हे।