18 गियान इसी मै है। जिसमै अकल हो, बौ उस जनाबर की संखिया को हिसाब लगा ले, कैसेकै बौ संखिया किसी आदमी के नाम सै जुड़ी भई है और उसकी संखिया छै सौ छियासट है।
“जब तुम उस उजाड़नै बारी घिनौनी चीज कै जहाँ बौ ना होनी चँईऐ, बहाँ खड़ी देखौ, जिस कारन सै मन्दर सुनसान हो जागो (पढ़नै बारो समज लैं जाको मतलब का है) तब जो यहूदिया मुलक मै हौं बे पहाड़ौ मै भाज जाँय।
इसताँई अगर हमरे बुरे काम परमेसर के अच्छे काम कै दिखामै हैं, तौ हम का करैं? मैं आदमी की सोच के हिसाब सै कैरओ हौं कै, का परमेसर को हमरे ऊपर घुस्सा कन्नो, गलत है?
मैंकै काँच को एक समन्दर दिखाई दओ जिसमै आग मिली भई ही। और जिनौनै उस जनाबर और उसकी मूरती मै और उसके नाम की संखिया मै जीत पाई ही, बे काँच के समन्दर के धौंरे परमेसर की बींड़ा कै लेए भए खड़े हे।