चौकस रौह, कहीं ऐंसो ना होए कै तुमकै आदमी को गियान, झूँटी और बेकार की बातौं सै कोई अपने कबजा मै ना कर लै, जो आदमिऔ और दुनिया के बनाए भए रीती रिबाज के ऊपर टिके हैं, पर मसी की सिक्छा ऐंसी ना है।
कैसेकै तुम जानौ हौ, कै जो बेकार की जिन्दगी तुमरे बापदादौं सै मिली है बासै तुमकै छुटकारो मिलो है और जौ छुटकारो सौने या चाँदी जैसी चीजौ सै ना मिलो है जो नास हो जावै है।