18 ईसु नै कैई, “का तुम लोग बी इतने नासमज हौ? कै जो चीज बाहार सै आदमिऔ के भीतर जावै है, बौ उसकै असुद्द ना कर सकै है?
जो मौह मै जावै है बौ आदमी कै असुद्द ना करै है, पर जो मौह सै बाहार लिकरै है, बौई आदमी कै असुद्द करै है।”
तुम काए ना समजते कै मैंनै तुमसै रोटी के बारे मै ना कैई? मैंनै तौ तुमकै फरीसिऔं और सदूकिऔं के खमीर सै बचनै कै कैई है।”
ईसु नै फिर उनसै कैई, “का तुम लोग जौ दासतान ना समजौ हौ? तौ फिर और दासतानौ कै कैसे समजौगे?
जब ईसु लोगौ कै छोड़कै घर आ गओ, तौ बाके चेलौ नै बासै पूँछी “गुरू, इस दासतान को अरथ का है?”
कैसेकै बौ उसके मन मै ना, पर पेट मै जावै है और हगनै मै बाहार लिकर जावै है।” जौ कैह कै बानै खानै की सबई चीज सुद्द ठैरांई।
तब ईसु नै उनसै कैई, “तुम कितने मूरख हौ; नबिऔ नै जो कुछ कैई, उसमै बिसवास कन्नै मै कितने कम हौ।
ईसु नै उसकै जबाब देते भए कैई, “तू ईसराइलिऔ को गुरू होकै बी का तू इन बातौं कै ना समजै है?
मैंनै तुमकै दूद पिबाओ, पर नाज ना खबाओ, कैसेकै तुम बाकै ना खा सकै हे, और अब्बी तुम ना खा सकौ हौ।
जाके बारे मै कैनै के ताँई मेरे धौंरे भौत कुछ है, पर जिनकै समजानो मुसकल है, कैसेकै तुमरी बुद्धि कमजोर हो गई है।