11 पर तुम कैबौ हौ कै अगर कोई अपने अईया सै कैए, कै मेरी जिन किसी चीजौ सै तुमकै फाएदा मिल सकै हो, बौ ‘कुरबान’ (मतलब परमेसर कै भेंट कर दंई हैं)
पर तुम कैबौ हौ, कै अगर कोई अपने अब्बा या अईया सै कैए, जो कुछ तुमकै मैंसै फाएदा मिल सकै हो, बौ परमेसर कै भेंट चढ़ाओ जा चुको है।
तुम जौ बी कैबौ हौ कै अगर कोई बेदी की कसम खावै है तौ कुछ ना, पर अगर कोई बेदी मै रक्खे भए चढ़ाबे की कसम खावै है, तौ बौ बा कसम सै बंध जावै है।
मुक्ख पुजारिऔं नै चाँदी के सिक्का उठाकै कैई, “इनकै खजाने मै जमा कन्नो ठीक ना है, जौ तौ किसी कै मरवानै की कीमत है।”
तौ तुम उसकै अब्बा या उसकी अईया की कुछ सेवा ना करन देते।