9 बे पाँऐ मै चप्पल तौ पैहर सकै हैं, पर दो कुरता ना रक्खैं।
रस्ता के ताँई ना झोला, ना दो कुरता, ना जूता, ना लठिया ले जाऔ कैसेकै मजदूर कै रोटी को हक है।
मैं तौ पानी सै तुमकै मन फिरानै को जल संस्कार देवौ हौं, पर जो मेरे बाद आनै बारो है, बौ मैंसै महान है, मैं तौ उसके जूता के फीता खोलनै के लायक बी ना हौं, बौ तुमकै पबित्तर आत्मा और आग सै जल संस्कार देगो।
उसनै उनसै और बात कैई, जिस घर मै तुम जाऔ, जब तक उस गाम सै बिदा ना हो, तब तक उसई घर मै ठैरे रौह।
ईसु नै आदेस दओ कै, “बे लठिया के सिबा रस्ता के ताँई कुछ बी ना ले जाँय, ना तौ झोला, ना जेब मै पैसा।
तबई सुरगदूत नै बासै कैई कै, “तईयार हो और जूता पैहरले” और पतरस नै बैसोई करो। तबई सुरगदूत नै फिर कैई कै, “अपने लत्ता पैहरले और मेरे पिच्छे आ।”
और पाँऐऔं मै मेल-मिलाब की अच्छी खबर के जूता पैहरकै तईयार रौह,