34 ईसु नै किसती सै उतरकै एक बड़ी भीड़ देखी, और उनके ऊपर तरस आओ, कैसेकै बे उन भेड़ौ के जैसे हे, जिनको कोई गड़रिया ना हो, और बौ उनकै भौत सी बात सिकाल लगो।
ईसु नै अपने चेलौ कै धौंरे बुलाकै कैई, “मैंकै इस भीड़ मै तरस आ रओ है, कैसेकै जे तीन दिन सै मेरे संग रैह रए हैं और इनके धौंरे खानै कै कुछ बी ना है और मैं इनकै भूँकोई बिदा कन्नो ना चाँहौ हौं। कहीं ऐंसो ना हो कै जे रस्ता मै बेहोस हो जाँय।”
पर भीड़ कै इसको पतो चल गओ और बौ बी उसके पीछे हो लई, ईसु नै उनको सुआगत करो और परमेसर के राज के बारे मै उनकै सिक्छा दई। और जिनकै ठीक होनै की जरूरत ही, बे ठीक करे।
इसताँई बाकै सिगरी बातौं मै अपने भईयौ और बहनौ के हाँई बननो जरूरी हो। जिस्सै बौ बिसवासजोग और दया कन्नै बारो बड़ो पुजारी बनकै परमेसर की सेवा करै। और बानै खुद कै बलि के रूप मै दे दओ जिस्सै कै लोगौ के पापौं सै उनकै माफी दिब्बा सकै।