10 उसनै उनसै और बात कैई, जिस घर मै तुम जाऔ, जब तक उस गाम सै बिदा ना हो, तब तक उसई घर मै ठैरे रौह।
अगर किसी जघै मै लोग तुमरो सुआगत ना करै, और तुमरी ना सुनै, तौ बहाँ सै चलतेई अपने पाँऐ की धूदर झार डारौ, कै उनके खिलाप गभाई हो।”
बे पाँऐ मै चप्पल तौ पैहर सकै हैं, पर दो कुरता ना रक्खैं।
और जिस किसी के घर मै तुम रुकौ, बहीं रैहऔ, और बहीं सै बिदा होओ।”
बानै अपने पूरे टब्बर के संग जल संस्कार लओ और तबई बानै हम सै बिनती करकै कैई, “अगर तुम मैंकै परभु की भक्तन मानौ हौ, तौ मेरे घर चलौ और बहाँ रुकिओ।” तब हमकै बानै अपने घर मै लेजानै के ताँई राजी कर लओ।