और जैसेई बौ सैहर के फाटक के धौंरे पौंचो तौ लोग एक मुरदे कै बाहार लेकै जा रए हे, जो अपनी राँड़ अईया को इकलौतो लौंड़ा हो, और सैहर के भौत से लोग उसके संग हे।
तबई हननियाह बा घर मै गओ और साऊल के ऊपर हात रक्कै कैई कै, “हे भईया साऊल, परभु ईसु तेकै बा रस्ता मै जिस्सै तू आ रओ हो दिखाई देओ हो, बानै मैंकै इसताँई भेजो है कै तू फिर सै देख सकै और पबित्तर आत्मा सै भर जाऐ।”