और कुछ बीज जो कटीली झाँड़िऔं मै बोए गए, जे बे हैं, जिनौनै परमेसर को बचन सुनो। पर दुनिया की चिन्ता, धन-दौलत को मोह परमेसर की बातौं कै दबा देवै हैं जिस्सै बामै फल ना लग पावै है।
“इसताँई चौकस रैहऔ, कहीं ऐंसो ना होए कै तुमरो मन भोग-विलास, नसा और जा जिन्दगी की चिन्ताऔं के बोज सै दब जाय और बौ दिन फंदा के हाँई अचानक तुमरे ऊपर आ पड़ै।
“कटीली झाँड़िऔं मै गिरे भए बे लोग हैं, जो बचन सुनै हैं, पर अग्गे चलकै बे चिन्ता और धन और जिन्दगी के सुख विलास मै फसकै दब जावै हैं और पकनै के ताँई कोई अच्छे फल ना लाबैं हैं।