फिर बौ दासतान मै उनसै बात करल लगो कै, “किसी आदमी नै अंगूर को बगीचा लगाओ, और उसके चारौ लंग बेड़ा बांधी, और उसमै रस को कुन्ड खुदबाओ और पक्को मचान बनबाओ, और कुछ किसानौ कै उसको ठेका देकै दूसरे मुलक चलो गओ।
पर मालिक की मरजी ना जानते भए मार खानै के लायक काम करै, बौ थोड़ी मार खागो, इसताँई जिसकै भौत दओ गओ है, उस्सै भौत माँगो जागो, और उस आदमी सै जिसकै लोगौ नै भौत सौंपर खाओ है, उस्सै भौत माँगंगे।
जब अंगूर पकनै को टैम आओ, तौ बानै अपनो एक नौकर किसानौ के धौंरे भेजो, कै बे अंगूर के बगीचा के ठेका को हिस्सा उसकै दैं, पर किसानौ नै नौकर पीटकै खाली हात लौहटा दओ।