बौ रस्ता के किनार अंजीर को पेड़ देक्कै उसके धौंरे गओ, पर उसकै उसमै पत्तौ के सिबा कुछ ना मिलो। तब बानै पेड़ सै कैई, “तैमै फिर कबी फल ना लगैं!” और उसई बखत अंजीर को बौ पेड़ सूक गओ।
“एक और दासतान सुनौ: एक जमीदार हो। बानै अंगूरौं को एक बगीचा लगाओ और बाके चारौ लंग बेड़ा कर दई। फिर अंगूरौं को रस लिकान्नै के ताँई बानै एक गड्ढा खोदो और बाके ऊपर पक्को मचान बनबाओ, तब बाको ठेका किसानौ कै देकै बौ परदेस चलो गओ
थोड़ी दूर उसकै अंजीर को एक हरो भरो पेड़ दिखाई पड़ो, जौ देखनै के ताँई बौ पेड़ के धौंरे पौंचो कै सायद उसकै कुछ फल मिल जाँय, पर जब बौ बहाँ पौंचो तौ उसकै पत्तौ के सिबा कुछ ना मिलो, कैसेकै फल को मौसम ना हो।
फिर बे ऐरूसलेम मै आए, और बौ मन्दर मै गओ, तौ ईसु नै बे लोग जो मन्दर मै बेचनै और खरीदनै बारे हे, उनकै बाहार लिकान्नो सुरू कर दओ। बानै पैसौ को लेन-देन कन्नै बारौ की मेज उलट दंई और कबूतर बेचनै बारौ के तख्ता पलट दए।
अगर कोई मैं मै ना बनो रैहबै है, तौ बौ बा डुग्गी के हाँई फैंक दओ जावै है, जो सूक जावै है, और आदमी बाकै इखट्टो करकै आग मै जोर देवै हैं और बे जर जावै हैं।
अगर बे हमरे परभु और मुक्ति दैनै बारे ईसु मसी कै जानकै दुनिया की बुरी बातौं सै बच गए हैं; और बे फिर पाप मै फसकै हार जावै हैं, तौ उनकी अबी की जिन्दगी पैले सै बी बुरी हो गई है।
जो बुरो करते भए आ रए हैं बे बुरो करते रैंह, जो असुद्द बने भए हैं, बे असुद्दई बने रैंह। और जो धरमी हैं, बे धरमी बने रैंह, जो पबित्तर हैं बे पबित्तर बने रैंह।”