थोड़ी दूर उसकै अंजीर को एक हरो भरो पेड़ दिखाई पड़ो, जौ देखनै के ताँई बौ पेड़ के धौंरे पौंचो कै सायद उसकै कुछ फल मिल जाँय, पर जब बौ बहाँ पौंचो तौ उसकै पत्तौ के सिबा कुछ ना मिलो, कैसेकै फल को मौसम ना हो।
इसताँई बाकै सिगरी बातौं मै अपने भईयौ और बहनौ के हाँई बननो जरूरी हो। जिस्सै बौ बिसवासजोग और दया कन्नै बारो बड़ो पुजारी बनकै परमेसर की सेवा करै। और बानै खुद कै बलि के रूप मै दे दओ जिस्सै कै लोगौ के पापौं सै उनकै माफी दिब्बा सकै।