1 जब ईसु और चेला ऐरूसलेम के धौंरे जैतून नाम पहाड़ मै बैतफगे और बैतनिया गाम के धौंरे आए, तौ ईसु नै अपने दो चेला जौ कैते भए भेजे
फिर उनकै बहीं छोड़कै बौ ऐरूसलेम सैहर सै बाहार बैतनिया कै चलो गओ। जहाँ बानै रात बिताई।
जब ईसु जैतून पहाड़ मै जाकै बैठ गओ तौ चेलौ नै अलग उसके धौंरे आकै कैई, “हमकै बता जौ कब होगो? तेरे आनै को और युग के अन्त को चिन्न का होगो?”
फिर बे भजन गाकै जैतून पहाड़ मै चले गए।
कै, “अपने सामने के गाम मै जाऔ, और उसमै पौंचतेई एक जमान गधा जिसमै कबी कोई ना चढ़ो है, तुमकै बंधो भओ मिलैगो, उसकै खोलकै हिंया ले आऔ।
फिर जब ईसु मन्दर के सामने जैतून के पहाड़ मै बैठो भओ हो तौ उस्सै पतरस, याकूब, यहून्ना और अन्दरयास नै इकले मै पूँछी,
तब उसनै अपने चेलौ मै सै दो चेला जौ कैह कै भेजे, “सैहर मै जाऔ, जहाँ तुमकै एक आदमी पानी को घल्ला लेए भए मिलैगो, उसके पीछे हो लेईओ।
फिर ईसु नै बारैह खास चेलौ कै अपने धौंरे बुलाओ और उनकै दो-दो करकै भेजल लगो, और उनकै दुसट आत्माऔ के ऊपर अधकार दए।
और ईसु जैतून पहाड़ के ऊपर चले गओ।
फिर बे जैतून नाम के पहाड़ सै ऐरूसलेम लौहट आए, जो ऐरूसलेम सै कम सै कम एक किलोमीटर दूर हो।