ईसु जैसेई अपने सफर मै लिकरो, तौ एक आदमी उसके धौंरे दौड़ते भए आओ, और उसके अग्गे घूंटे टेक्कै उस्सै पूँछी, “हे भले गुरू, हमेसा की जिन्दगी पानै के ताँई मैं का करौं?”
तू आगियाँऔ कै तौ जानै है, कतल ना कन्नो, बईयरौं के संग गलत काम ना कन्नो, चोरी ना कन्नी, झूँटी गभाई ना देनी, छल ना कन्नो, अपने अब्बा और अईया को आदर कन्नो।”
इसताँई हम बा पियार कै जानै हैं और बाके ऊपर भरोसो रक्खैं हैं, जो परमेसर सै हमकै मिलै है। परमेसर पियार है, और जो पियार मै बनो रैहबै है, बौ परमेसर मै बनो रैहबै है और परमेसर बामै।