4 जब तेरी आँख मै लट्ठा समाओ है तौ तू अपने भईया सै कैसे कैह सकै है कै, ‘ला मैं तेरी आँख को तिनका लिकार दौं?’
ओ अन्धे अगुबौं! तुम अपने पानी सै मच्छर तौ छानौं हौ पर ऊँट कै निगल जाबौ हौ।
तू काए अपने भईया के आँख के तिनका कै देखै है, जबकि तेकै अपनी आँख को लट्ठा ना सूजै है?
हे पाखंडी! पैले तू अपनी आँख को लट्ठा लिकार, फिर तू ठीक तरै सै देख सकैगो और अपने भईया के आँख को तिनका लिकार सकैगो।
तौ अपने भईया सै तू कैसे कैह सकै है, ‘भईया, तू अपनी आँख को तिनका मैंकै लिकारन दे, जबकि तू अपने आँख के लट्ठा कै ना देख रओ है,’ अरे कपटी, पैले अपनी आँख को लट्ठा दूर कर, तब तेकै अपने भईया की आँख को तिनका बाहार लिकारनै के ताँई दिखाई दे सकैगो।