3 नौ बजे के आस पास जमीदार फिर घर सै लिकरो और बानै देखो कै कुछ लोग बजार मै ऐंसेई बेकार खड़े हैं।
बानै मजूरौं कै एक दिन की डिहाड़ी चाँदी को एक रुपिया तय करो और उनकै अपने अंगूर के बगीचा मै भेज दओ।
तब उसनै उनसै कैई, ‘तुम बी मेरे अंगूर के बगीचा मै जाऔ, मैं तुमकै ठीक ठाक डिहाड़ी दे दंगो’ और बे बहाँ काम कन्नै चले गए।
जब उनौनै ईसु कुरूस मै चढ़ाओ, उस टैम सुबे के नौ बज रए हे।
जब बाके मालिकौं नै देखो कै, “हमरी कमाई की आस खतम हो गई है,” तौ तबई पौलुस और सीलास कै पकड़कै चौराए मै अधकारिऔं के धौंरे खैंच के ले गए।
जे आदमी सराप पिए भए ना हैं, जैसो कै तुम समज रए हौ। कैसेकै अबी तौ सुबे के नौई बजे हैं।
और इन बातौं के अलाबा बे आलसी होनै की बजै सै अपने काम कै छोड़कै चली जावै हैं। बे दूसरौं के घरौं मै झाँकती फिरै हैं और बेकार की बात बतकाते भए लोगौ के काम मै टांग अड़ावैं हैं। बे ऐंसी बात बतकावैं हैं जिनकै ना बतकनो चँईऐ।
हम ऐंसो ना चाँहै हैं कै तुम आलसी बनौ पर तुम उनके हाँई करौ जो बिसवास और सबर के संग परमेसर के दए भए बादेऔ के बारिस हैं।