3 और सुबे कैबौ हौ, आज आँधी आगी कैसेकै आसमान लाल और बादरौं सै घिरो भओ है। तुम आसमान कै देक्कै मौसम की भबिसबानी तौ कर सकौ हौ, पर अपने बखत के चिन्नौ को भेद बता ना सकौ हौ।
कै अन्धे देख रए हैं, लंगड़े चल रए हैं, कोढ़ी सुद्द करे जा रए हैं, बैहरे सुन रए हैं, मुरदे जिन्दे करे जा रए हैं, और कंगालौ कै अच्छी खबर सुनाई जा रई है।
“अरे कपटी सास्तरिऔं और फरीसिऔं! तुम्मै धिक्कार है। तुम लोगौ के ताँई सुरग के राज को मौहड़ो बन्द कर देवौ हौ तुम खुद तौ ना जाबौ हौ पर जो जानो चाँहै है, उनकै रोक देवौ हौ।
और ईसु सैरे गलील मै फिरतो भओ उनकी पिराथना घरौं मै उपदेस देतो और परमेसर के राज की अच्छी खबर को परचार करतो और लोगौं की हर तरै की बेमारी ठीक और कमजोरिऔं कै दूर करतो रैहओ