12 जब दिन छिपल लगो, तौ भेजे भए बारौंह चेलौ नै आकै उस्सै कैई, “भीड़ कै बिदा कर, जिस्सै बे आस पास के गामौ और बस्तिऔं मै जाकै रैहनै और खानै को इन्तजाम कर सकैं, कैसेकै हिंया तौ हम लोग सुनसान जघै मै हैं।”
ईसु नै अपने चेलौ कै धौंरे बुलाकै कैई, “मैंकै इस भीड़ मै तरस आ रओ है, कैसेकै जे तीन दिन सै मेरे संग रैह रए हैं और इनके धौंरे खानै कै कुछ बी ना है और मैं इनकै भूँकोई बिदा कन्नो ना चाँहौ हौं। कहीं ऐंसो ना हो कै जे रस्ता मै बेहोस हो जाँय।”
पर भीड़ कै इसको पतो चल गओ और बौ बी उसके पीछे हो लई, ईसु नै उनको सुआगत करो और परमेसर के राज के बारे मै उनकै सिक्छा दई। और जिनकै ठीक होनै की जरूरत ही, बे ठीक करे।
ईसु नै उनकै जबाब दओ, “तुमई उनकै खानै कै दो,” उनौनै कैई, “हमरे धौंरे तौ पाँच रोटी और दो मच्छी के अलाबा कुछ बी ना है, पर हाँ, अगर हम जाकै इन सब लोगौ के ताँई रोटी मोल लैं, तौ हो सकै है।”