11 पर भीड़ कै इसको पतो चल गओ और बौ बी उसके पीछे हो लई, ईसु नै उनको सुआगत करो और परमेसर के राज के बारे मै उनकै सिक्छा दई। और जिनकै ठीक होनै की जरूरत ही, बे ठीक करे।
“बताऔ इन दौनौ मै सै किसनै अपने अब्बा की इच्छा पूरी करी?” उनौनै कैई, “बड़े नै।” ईसु नै उनसै कैई, “मैं तुमसै सच कैरओ हौं कै चुंगी लैनै बारे और रन्डी परमेसर के राज मै तुमसै पैले जांगे।
ईसु नै उनसै कैई, “तुमकै परमेसर के राज के भेदौं की समज देई गई है, पर औरौं कै दासतानौ मै सुनाओ जावै है, जिस्सै बे देखते भए बी ना देखैं, और सुनते भए बी ना समजैं।
जब दिन छिपल लगो, तौ भेजे भए बारौंह चेलौ नै आकै उस्सै कैई, “भीड़ कै बिदा कर, जिस्सै बे आस पास के गामौ और बस्तिऔं मै जाकै रैहनै और खानै को इन्तजाम कर सकैं, कैसेकै हिंया तौ हम लोग सुनसान जघै मै हैं।”
मगर बे जो उसके ऊपर बिसवास ना करै हैं, तौ उसको नाम कैसे ले सकैं हैं? और बे जिनौनै उसके बारे मै कबी सुनोई ना है, उसके ऊपर कैसे बिसवास कर सकैं हैं? और अगर अच्छी खबर कै सुनानै बारोई ना है, तौ बे उसके बारे मै कैसे सुन सकै हैं?