23 जब किसती चल रई ही, तौ बौ सो गओ। तब झील मै भयंकर आँधी तोफान आ गओ और किसती पानी सै भरल लगी और बे खतरा मै पड़ गए।
एक दिन ईसु गन्नेसरत नाम की झील के किनारे खड़ो हो, तब भीड़ ईसु कै दबाते भए चारौ लंग सै घेरकै परमेसर को बचन सुन्नै के ताँई खड़ी ही,
फिर एक दिन ईसु और बाके चेला किसती मै चढ़े, और बानै उनसै कैई कै, “आऔ, झील के पल्ली पार चलैं”
और हम अदरमुतियुम नाम की जघै सै एक पानी के जिहाज मै जाकै बैठे जो एसिया के छोटे छोटे मुलक सै होकै जानै के ताँई तईयार हो। अरितरखुस नाम को एक आदमी हो और बौ मकदूनी के थिसलुनीकिया सैहर को रैहनै बारो हमरे संग सफर कर रओ हो।
और हम बी हर बखत खतरा काए मोल लेबै हैं?
कैसेकै हमरो बड़ो पुजारी ऐंसो ना हैं जो हमरी कमजोरिऔं मै तरस ना खाऐ, कैसेकै बाकै बी हर तरै सै हमरे हाँई परखो तब्बी बानै पाप ना करो।