कै अन्धे देख रए हैं, लंगड़े चल रए हैं, कोढ़ी सुद्द करे जा रए हैं, बैहरे सुन रए हैं, मुरदे जिन्दे करे जा रए हैं, और कंगालौ कै अच्छी खबर सुनाई जा रई है।
बे अपने पक्के बिसवास की बजै सै बेमार लोगौ कै खटिया और सितरे समीत रस्ता के किनार रख देवै हे, कै जब पतरस बहाँ सै लिकरकै जाऐ तौ कम सै कम बाकी छाँई उनमै पड़ जाऐ।