18 कैसेकै मैं तुमसै कैरओ हौं आज के बाद जब तक परमेसर अपने लोगौ के ऊपर राज ना करै, मैं अंगूर को रस कबी ना पियंगो।”
और मैं बी तेसै कैरओ हौं, कै तू पतरस यानी ‘चट्टान’ है, और मैं जा चट्टान मै अपने बिसवासिऔ की मंडली बनांगो, और मौत के फाटक इसके सामने टिक ना सकंगे।
मैं तुमसै कैरओ हौं, कै आज के बाद, मैं उस दिन तक अंगूर को जौ रस ना चखंगो जब तक अपने परम पिता के राज मै तुमरे संग नओ अंगूर को रस ना पीलौं।”
फिर उसनै कटोरा उठाओ, धन्नबाद करो और उनकै दओ और उन सबनै उसमै सै पिओ।
मैं तुमसै सच कैरओ हौं, कै अंगूर को रस उस दिन तक फिर कबी ना पींगो, जब तक परमेसर के राज मै नओ ना पिऔं।”
बहाँ लोग ईसु कै मुर नाम की दबाई कै अंगूरौं के रस मै मिलाकै पीनै कै दई, पर उसनै बौ ना लई।
और ईसु नै जौ बी कैई, “मैं तुमसै सच कैरओ हौं, हिंया कुछ ऐंसे लोग खड़े हैं, जो तब तक ना मरंगे, जब तक बे परमेसर कै राज कन्नै के ताँई सकति के संग आतो भओ ना देख लैं।”
इस तरै सै जब तुम जे बात होते देखौ, तौ जान लेईओ कै परमेसर को राज धौंरे है।
कैसेकै मैं तुमसै कैरओ हौं कै जब तक परमेसर के राज मै इस भोज की सैरी बात पूरी ना हो लेती तब तक मैं इसकै दुबारा ना खांगो।”
मैं तुम लोगौं सै सच कैरओ हौं, कै जो हिंया खड़े हैं, उनमै सै कुछ ऐंसे हैं, कै जब तक परमेसर को राज ना देख लैं, तब तक ना मरंगे।”
परमेसर हमकै इन्धेरे के राज सै लिकारकै अपने पियारे लौंड़ा के राज मै लेकै आओ है।