बा खाने के ताँई मैहनत ना करौ जो सड़ जावै है, पर बा खाने के ताँई मैहनत करौ जो हमेसा जिन्दगी भर बनो रैहबै है, जिसकै आदमी को लौंड़ा तुमकै देगो, कैसेकै अब्बा यानी परमेसर नै बाई मै अपनी मौहर लगाई है।”
सबई लोगौ के सामने ना पर उन गभाऔ के सामने जिनकै परमेसर नै पैलेई सै चुनर खाओ हो, और बे गभा हम हैं। जब बौ मर कै फिर सै जिन्दो भओ तबई हमनै बी बाके संग खाओ और पिओ हो।