बताऔ यहून्ना कै जल संस्कार कहाँ सै मिलो? परमेसर सै या आदमिऔ सै?” बे आपस मै बिचार करते भए कैललगे, “अगर हम कैंगे ‘परमेसर’ सै तौ जौ हम सै पूँछैगो ‘फिर तुमनै उसको बिसवास काए ना करो?’
और उनौनै यहून्ना के धौंरे आकै उस्सै कैई, “हे गुरू, जो आदमी यरदन नद्दी के पार तेरे संग हो, और जिसकी तैनै गभाई देई है, देख बौ जल संस्कार देवै है, और सब बाके धौंरे जावै हैं।”
जो लौंड़ा मै बिसवास करै है, हमेसा की जिन्दगी बाई की है, पर बौ जो लौंड़ा की ना मानै है बाकै जिन्दगी ना मिलैगी, और परमेसर को घुस्सा बाके ऊपर बनो रैहगो।
यहून्ना जब अपनो काम पूरो कन्नै बारो हो तौ तबई बानै कैई ही कै, ‘तुम मैंकै का समजौ हौ? मैं बौ ना हौं। पर जो मेरे बाद आनै बारो है। मैं तौ बाके जूता के फीता खोलनै के लायक बी ना हौं।’